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Tokyo Olympics , 28 july 2021 , भारतीय खिलाड़ियों के है ऐसे हाल

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 tokyo olympics के छटवे दिन तक कई भारतीय खिलाड़ियों को हार का सामना करना पड़ा और कुछ का सफ़र भी ख़तम हुआ पर साथ ही कुछ खिलाड़ियों ने जीत भि हासिल की , tokyo olympics में भारतीय खिलाड़ियों के हाल ऐसे है : तीरंदाजी : तरूणदीप राय ने उक्रेन के ओलेक्सी हुनबिन को पुरूषों की व्यक्तिगत स्पर्धा के पहले दौर में 6-4 से हराया। दूसरे दौर के शूट आफ में इस्राइल के इते शैननी से हारे। प्रवीण जाधव ने रूसी ओलंपिक समिति के गालसान बी को पहले दौर में 6-0 से हराया लेकिन दूसरे दौर में अमेरिका के ब्राडी एलिसन से 0-6 से हारे। दीपिका कुमारी ने महिलाओं के व्यक्तिगत वर्ग के पहले दौर में भूटान की करमा को 6-0 से हराया। दूसरे दौर में अमेरिका की जेनिफर मुसिनो फर्नांडिज को 6-4 से मात दी। बैडमिंटन : पीवी सिंधू ने महिला एकल वर्ग के ग्रुप जे के मैच में हांगकांग की एन चियुंग को 21-9, 21-16 से मात दी। प्री क्वार्टर फाइनल में पहुंची। बी साइ प्रणीत को नीदरलैंड के एम कालजोउ ने 21-14, 21-14 से हराया। क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में नाकाम। मुक्केबाजी : पूजा रानी ने अल्जीरिया की इचराक चैब को महिलाओं के 75 किलोवर्ग में हराया। हॉकी: भारती

WORLD NATURE CONSERVATION DAY 2021:विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस २०२१

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हम हर साल 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस World Nature Conservation Day मनाते  है. इसे हम  लोगों में प्राकृतिक स्रोतों Natural Resources के संरक्षण के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है. इस दिन प्राकृतिक संरक्षण के महत्व को समझाया जाता है.    प्रकृति सभी के जीवन का महत्वपूर्ण और अविभाज्य अंग है। खूबसूरत प्रकृति के रुप में भगवान के सच्चे प्यार से हम सभी धन्य है। कुदरत के सुख को कभी गँवाना नहीं चाहिये। कई प्रसिद्ध कवियों, लेखक, पेंटर, और कलाकार के कार्य का सबसे पसंदीदा विषय प्रकृति होती है। प्रकृति भगवान की बनायी सबसे अद्भुत कलाकृति है जो उसने बहुमूल्य उपहार के रुप में प्रदान की है। प्रकृति सब कुछ है जो हमारे आसपास है जैसे पानी, हवा, भूमि, पेड़, जंगल, पहाड़, नदी, सूरज, चाँद, आकाश, समुद्र आदि। कुदरत अनगिनत रंगों से भरी हुई है जिसने अपनी गोद में सजीव-निर्जीव सभी को समाहित किया है। अगर हमें हमेशा खुश और स्वस्थ रहना है तो हमें स्वार्थी और गलत कार्यों को रोकने के साथ-साथ अपने ग्रह को बचाना होगा जिसके लिए  हम विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस [  WORLD NATURE CONSERVATION DAY 2021]  

bhawni devi टोक्यो में भवानी देवी का सफर खत्म

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  टोक्यो:  भारतीय फेंसर सीए भवानी देवी (CA Bhavani Devi) ने सोमवार को अपने पहले ओलंपिक अभियान में शानदार शुरुआत की और महिला व्यक्तिगत साब्रे के अपने पहले दौर के मुकाबले में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया लेकिन दूसरे मुकाबले में हार के साथ उनका सफर समाप्त हो गया. टोक्यो में भवानी देवी का सफर खत्म 27 साल की भवानी देवी (Bhavani Devi) ने ट्यूनीशिया (Tunisia) की नादिया बेन अजीजी (Nadia Ben Azizi) को 15-3 से हराकर राउंड आफ 32 में एंट्री की और ओलंपिक में कोई मैच जीतने वाली भारत की पहली तलवारबाज बन गईं लेकिन अगले राउंड में भवानी को फ्रांस की मेनोन ब्रुनेट (Manon Brunet) के हाथों 7-15 से हार मिली. भवानी ने दी कड़ी टक्कर   फ्रांस की खिलाड़ी ने हराया मकुहारी मेस्से हॉल में एक सतर्क शुरुआत करते हुए, भवानी ने मेनोन को जोरदार टक्कर दी. पहले राउंड में 2-9 से पीछे होने के बावजूद भवानी ने हार नहीं मानी और एक समय स्कोर को 6-11 तक ले गईं लेकिन आखिरकार फ्रांस की खिलाड़ी ने अपने तजुर्बे का इस्तेमाल करते हुए भवानी को हार मानने पर विवश कर दिया. पहले मैच में मिली थी जीत इसी तरह पहले मैच में भवानी देवी (Bhavani

swami vivekanand ji

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विवेकानंद के महान विचारों में एक बात जो सबसे मशहूर है वो ये कि उन्होंने कहा था कि, ' मैं उस प्रभु का सेवक हूं, जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं' विवेकानंद ने मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताया था. उन्होंने कहा था कि मानवता ही धर्म का आधार है. इंसानों की सेवा से बड़ा दूसरा कोई अच्छा कर्म नहीं हो सकता है. Swami Vivekananda Death Anniversary : एक मान्यता जो दुनिया के कई लोगों में घर कर गई है वो ये है कि आपके कपड़े, शरीर का रंग और बातचीत के लिए कोई खास भाषा ही आपके मॉडर्न होने और पढ़े लिखे होने का सबूत है. कई बार आपकी पोशाक, फटाफट अंग्रेजी ही आपकी महानता का परिचायक बन जाती है. लेकिन भगवा पहने एक शख्स ने दशकों पहले अमेरिका में दुनिया को एक नया पाठ पढ़ाया था. उसने सिखाया था कि आधुनिकता आपके कपड़े नहीं बल्कि विचार से आते हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं स्वामी विवेकानंद की, जिन्होंने आज ही के दिन यानी की 4 जुलाई 1902 को देह छोड़ दी थी. विवेकानंद भले ही महज 39 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए हों, लेकिन उनके विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणा हैं.    स्वामी विवे